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गर जहाँ में कोई सहारा नहीं है यारा, तो मैं तुम्हारा, या फिर जहाँ में मुझी को तुमने फिर पुकारा, तो मैं तुम्हारा। सख़्त लहजा, ज़बान तीखी, मुंफरीद सा है हाल ...